राजनीतिक व्यवस्था की आवश्यकता क्यों पड़ती है? | Why Is Political System Required?

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आज हम लोग पॉलिटी के एक टॉपिक “राजनीतिक व्यवस्था की आवश्यकता क्यों पड़ती है?” (Why is political system required?) इसके बारे में जानेंगे ।

राजनीतिक व्यवस्था की आवश्यकता क्यों पड़ती है? (Why is political system required?)

एक स्वाभाविक प्रश्न यह भी उठता है कि क्या मानव समाज को उचित तरीके से रहने के लिये सचमुच राजनीतिक व्यवस्था की ज़रूरत है या नहीं? और यदि हाँ, तो क्यों?

कुछ लोग मानते हैं कि मनुष्य को राजनीतिक व्यवस्था की ज़रूरत है ही नहीं। राजनीतिक व्यवस्था तो मनुष्य के इतिहास की गलतियों का एक परिणाम है। यदि सारे मनुष्य समझदारी और पारस्परिक विश्वास से काम करें तो राजनीतिक व्यवस्था की ज़रूरत अपने आप खत्म हो जाती है। ऐसा मानने वालों में कार्ल मार्क्स तथा अन्य मार्क्सवादी विचारक तो थे ही; स्वयं महात्मा गांधी भी मानते थे कि जब समाज के प्रत्येक सदस्य को ‘आत्मिक उन्नति’ का पर्याप्त अवसर मिलेगा तो राजनीतिक व्यवस्था की ज़रूरत नहीं रहेगी।

किंतु कुछेक लोगों की राय छोड़ दें तो अधिकांश विचारकों की सोच यही है कि राज्य का अस्तित्व मनुष्य के लिये ज़रूरी होता है। इसकी प्रमुख वजह यही मानी गई है कि मनुष्य चाहे जितना भी विवेकशील ( Rational) प्राणी हो, वह कभी-कभी या आमतौर पर अपने स्वार्थ के अधीन होता है तथा दूसरे व्यक्तियों से उसके टकराव की स्थितियाँ बनती रहती हैं। राज्य का ढाँचा सभी मनुष्यों को एक निश्चित कानून व्यवस्था के दायरे में ले आता है, ताकि अपनी मूल असुरक्षाओं से मुक्त होकर सभी एक सहज जीवन व्यतीत कर सकें। कई महान विचारकों ने तो यहाँ तक कहा है कि मनुष्य को सही अर्थों में मनुष्य बनने का मौका तभी मिलता है, जब वह राज्य की आज्ञाओं का पालन करता है। यदि राज्य और कानून नहीं होंगे तो समाज के ताकतवर लोग कमज़ोर लोगों पर शक्ति का दुरुपयोग करेंगे और कमज़ोर लोग हमेशा भय में रहेंगे, अपने व्यक्तित्व का सहज विकास नहीं कर सकेंगे। चूँकि राजनीतिक व्यवस्था के पास किसी भी व्यक्ति, समुदाय या संस्था से ज़्यादा ताकत होती है, इसलिये वह ऐसी सभी अनुचित शक्तियों पर नियंत्रण कर सकती है।

मानव समाज को सचमुच राजनीतिक व्यवस्था की आवश्यकता है, इसका एक प्रमाण बहुत स्पष्ट है। इतिहासकारों और मानवशास्त्रियों (Anthropologists) ने अभी तक प्राचीन से प्राचीन और सरल-से-सरल जितने भी समाजों का अध्ययन किया है, उन सभी में किसी-न-किसी रूप में राजनीतिक ढाँचे (Political structure) की उपस्थिति देखी गई है, चाहे वह ढाँचा राजतंत्र (Monarchy) का हो, लोकतंत्र (Democracy) का या तानाशाही (Dictatorship) का ।

यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि आज के समय में राजनीतिक व्यवस्था की भूमिका काफी ज्यादा बढ़ गई है। जनसंख्या की अधिकता के कारण यह बिल्कुल संभव नहीं रहा है कि लोग आपसी सहमति से ही काम चला लें औपचारिक कानूनों के निर्माण और कानूनों को लेकर होने वाले विवादों की स्थिति में न्यायिक प्रक्रियाओं की ज़रूरत बहुत अधिक मात्रा में पड़ने लगी है। इतना ही नहीं, आज की राजनीतिक व्यवस्था सिर्फ कानून का पालन करवाने तक सीमित नहीं है, अब उसने लोक कल्याणकारी राज्य (Welfare state) का रूप धारण कर लिया है और समाज के सभी वर्गों को स्वतंत्रता, समानता और न्याय उपलब्ध कराना अब उसकी ज़िम्मेदारी हो गई है।

जहाँ तक भारत में राजनीतिक प्रणाली का प्रश्न है, इसकी आवश्यकता को कई स्तरों पर महसूस किया जा सकता है जैसे-

● भारत में राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया (Nation building process) अभी चल रही है, जिसे राष्ट्र विरोधी ताकतें नुकसान पहुँचा सकती हैं। ऐसे खतरों से निपटने के लिये मज़बूत राजनीतिक प्रणाली ज़रूरी है।

● भारत की आंतरिक सुरक्षा (Internal security) के समक्ष अभी कई चुनौतियाँ हैं, जैसे- आतंकवाद (Terrorism), नक्सलवाद (Naxalism), अलगाववाद ( Separatism ) इत्यादि। इन चुनौतियों से हम तब तक नहीं निपट सकते, जब तक हमारे पास राज्य का एक मजबूत ढाँचा न हो।

● भारतीय राज्य एक कल्याणकारी राज्य (Welfare state) है और यह वंचित वर्गों (Deprived classes) को समानता की स्थिति में लाने के लिये गंभीर प्रयास करता है। आरक्षण (Reservation) तथा सामाजिक न्याय (Social justice) की अन्य नीतियाँ इसी उद्देश्य से लागू की जाती हैं। चूँकि भारतीय समाज का एक बहुत बड़ा हिस्सा (जैसे- स्त्रियाँ, बच्चे, पिछड़ी जातियाँ तथा अल्पसंख्यक समुदाय) भिन्न-भिन्न दृष्टियों से वंचन (Deprivation ) का शिकार रहा है और उन्हें समाज की मुख्यधारा (Mainstream) में लाने के लिये जरूरी है कि सरकार की ओर से उन्हें विशेष सुविधाएँ दी जाएँ, इसलिये भारत के लिये एक सुगठित राजनीतिक संरचना जरूरी है।

● भारत में विभिन्न हित-समूह (Interest groups ) रहते हैं, जिनके बीच अपने हितों को लेकर टकराव होना स्वाभाविक है। इन हितों में सामंजस्य करते हुए उचित कानूनों के निर्माण के लिये संसद (Parliament ) की ज़रूरत है, जबकि ऐसे विवादों का न्यायिक समाधान करने के लिये एक सशक्त और सुलझी हुई न्यायपालिका (Judiciary) भी ज़रूरी है।

● भारतीय समाज तीव्र सामाजिक परिवर्तनों (Social changes) के दौर से गुज़र रहा है, जिसके कारण वंचित वर्ग (Deprived classes) अपने अधिकारों की मांग बुलंद कर रहे हैं। इससे समाज के वे तबके असहज हैं, जो पुरानी व्यवस्था में लाभकारी स्थिति में थे। ये परिवर्तन स्वाभाविक तौर पर तनावों को जन्म देते हैं, जो कभी – कभी दलितों तथा स्त्रियों के विरुद्ध होने वाले अत्याचारों के रूप में दिखाई पड़ते हैं। सामाजिक परिवर्तन (Social change) तथा आधुनिकीकरण (Modernisation) की इस प्रक्रिया को इन दबावों से बचाने के लिये तथा उसे सुचारु रूप से चलाने के लिये सशक्त राजनीतिक ढाँचे की ज़रूरत पड़ती है।

राजनीतिक व्यवस्था की आवश्यकता क्यों पड़ती है? (Why is political system required?) Notes PDF

नीचे आपको “राजनीतिक व्यवस्था की आवश्यकता क्यों पड़ती है?” इस विषय पर नोट्स PDF दिया जा रहा है जो pdfinhindi.in द्वारा तैयार किया गया हैं आप इस नोट्स का उपयोग आप अपने ज्ञान कोष में वृद्धि केलिए कर सकते हैं।

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