सतत आर्थिक विकास – नोट्स प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा के लिए

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सतत आर्थिक विकास नोट्स

➤ सतत विकास सामाजिक – आर्थिक विकास की वह प्रक्रिया है, जिसमें पृथ्वी की सहनशक्ति के अनुसार विकास की बात की जाती है। यह अवधारणा 1960 के दशक में तब विकसित हुई, जब लोग औद्योगीकरण के पर्यावरण पर हानिकारक प्रभावों से अवगत हुए। सतत विकास की अवधारणा की शुरुआत वर्ष 1962 में हुई जब वैज्ञानिक रॉकल कारसन ने ‘दी साइलेंट स्प्रिंग’ नामक पुस्तक लिखी । यह पुस्तक पर्यावरण, अर्थव्यवस्था तथा सामाजिक पक्षों के मध्य परस्पर संबंधों के अध्ययन में मील का पत्थर साबित हुई। वर्ष 1968 में जीव विज्ञान शास्त्री पॉल इरलिच ने अपनी पुस्तक ‘पापुलेशन बम’ प्रकाशित की जिसमें उन्होंने मानव जनसंख्या, संसाधन दोहन तथा पर्यावरण के बीच संबंधों पर प्रकाश डाला।

सतत विकास का अर्थ तथा परिभाषाएं

➤ स्थायी विकास का अभिप्राय आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण को सुरक्षित करना है। इसका उद्देश्य वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों

के लिए प्राकृतिक संसाधन सुरक्षित रखना है। सततशीलता शब्द को विभिन्न प्रकार से परिभाषित किया गया है-
(i) सततशीलता का अर्थ एक ऐसी ऐसी स्थिति से है, जो हमेशा के लिए बनी रहे।

(ii) प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग इस प्रकार से हो, जिससे पर्यावरणीय असंतुलन न हो तथा प्रकृति का उत्पादन क्षमता से अधिक शोषण न हो ।

➤ सतत विकास की अवधारणा आर्थिक विकास नीतियों को पर्यावरण के अनुरूप बनाने पर जोर देती है। इसका उद्देश्य पर्यावरण के विरुद्ध चलने वाली विकास नीतियों में बदलाव लाना है। सतत विकास की सबसे अच्छी परिभाषा बॅण्टलैंड आयोग ने अपनी रिपोर्ट अवर कॉमन फ्यूचर’ (1987) में दी। उसने सतत विकास को ऐसा विकास कहा ‘जो भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं की पूर्ति से बिना समझौता किए वर्तमान की आवश्यकताएं पूरी करता है।’ इस रिपोर्ट में कहा गया है कि विकास हमारी आज की जरूरतों को पूरा करें, साथ ही आने वाली पीढ़ियों की जरूरतों की भी अनदेखी न करे।

सतत विकास का उद्देश्य

➤ सतत विकास के कुछ दूरगामी तथा व्यापक उद्देश्य हैं जो जाति, धर्म, भाषा तथा क्षेत्रीय बंधनों से मुक्त हैं। ये उद्देश्य शोषणकारी मानसिकता की जंजीरों से अर्थव्यवस्था की मुक्ति हेतु ऐसा अधिकार पक्ष है, जिन्होंने राष्ट्रों की जैव संपदा को नष्ट होने बचाया है, संक्षेप में ये उद्देश्य निम्न हैं-

  • पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों को दुरुपयोग से बचाना
  • ऐसी नई वैज्ञानिक तकनीकों की खोज हो, जो प्रकृति के नियमों के अनुरूप कार्य करें.
  • विविधता की रक्षा करना तथा विकास की नीतियों में स्थानीय समुदायों को शामिल करना,
  • शासन की संस्थाओं का विकेन्द्रीकरण करना और उन्हें अधिक लचीला, पारदर्शी तथा जनता के प्रति उत्तरदायी बनाना,
  • ऐसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की योजना बनाना जो निर्धन देशों की आवश्यकताओं को समझकर बिना उनके पर्यावरण को नष्ट पहुंचाए, उनके विकास में मदद करें, अधिकांश लोगों के जीवन स्तर को समानता तथा न्याय के अनुरूप बनाना
  • विश्व के सभी राष्ट्रों में शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को बढ़ाना, क्योंकि केवल शांति ही मानवता के व्यापक हितों की रक्षा सुनिश्चित करती है।

➤ सतत विकास एक मूल्य आधारित अवधारणा है, जो परस्पर सह- अस्तित्व तथा सभी के लिए सम्मान जैसे आदर्शों की मांग करता है। यह एक निरंतर विकास प्रक्रिया है जो सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा पर्यावरणीय घटकों में सामंजस्य पर आधारित है।

PDF सतत आर्थिक विकास – नोट्स

नीचे “सतत आर्थिक विकास” – Notes PDF है जो PDFinHindi.in द्वारा तैयार किया हुआ है ।

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