पश्चिमी भारत में विद्रोह (Revolts in Western India)-नोट्स हिन्दी में

इस आर्टिकल मे “भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के उदय और विकास” पर ‘पश्चिमी भारत में विद्रोह’ (Revolts in Western India) के बारे मे बताया गया है जैसे – भील विद्रोह, कोलों का विद्रोह, कच्छा का विद्रोह ।

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पश्चिमी भारत में विद्रोह (Revolts in Western India)

(i) भील विद्रोह : भीलों की आदिम जाति पश्चिमी तट के खानदेश जिले में रहती थी। 1812 – 19 तक इन लोगों ने अपने नए स्वामी अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। कम्पनी के अधिकारियों का कहना था कि इस विद्रोह को पेशवा बाजीराव द्वितीय तथा उसके प्रतिनिधि त्रिम्बकजी दांगलिया ने प्रोत्साहित किया था।

वास्तव में कृषि सम्बन्धी कष्ट तथा नई सरकार से भय ही इस विद्रोह का कारण था। अंग्रेजी सेना की अनेक टुकड़ियां इसको दबाने में लगी थीं। परन्तु भयभीत होने के स्थान पर भीलों की उत्तेजना और भी बढ़ गई, विशेष कर जब उन्हें अंग्रेजों की बर्मा में हुई असफलता का ज्ञान हुआ। उन्होंने 1825 में “सेवरम’ के नेतृत्व में पुनः विद्रोह कर दिया। 1831 तथा 1846 में पुनः उपद्रव उठ खड़े हुए जिससे यह सिद्ध होता है कि यह आन्दोलन लोकप्रिय था।

(ii) कोलों का विद्रोह : भीलों के पड़ोसी कोल भी अंग्रेजों से अप्रसन्न थे विशेषकर इसलिए कि अंग्रेजों ने उनके दुर्ग तोड़ दिए थे। दूसरे, अंग्रेजी शासन से उनमें बेकारी बढ़ गई थी तथा अन्त में 1829 1839 तथा पुनः 1844 से 1848 तक इन्होंने विद्रोह किए जो सब दबा दिए गए।

(iii) कच्छा का विद्रोह : कच्छा तथा काठियावाड़ में भी अंग्रेजों के विरुद्ध रोष फैला था। संघर्ष का वास्तविक कारण कच्छ के राजा भारमल्ल और झरेजा के समर्थक सरदारों का रोष था ।

1819 में राजा भारमल्ल को हरा कर अंग्रेजों ने उसके अल्पवयस्क पुत्र को सिंहासन पर बिठा दिया। प्रदेश का वास्तविक शासन एक प्रतिशासक परिषद (Council of ? Regency) को दे दिया जिसका निदेशन एक अंग्रेज रेजीडेंट के अधीन था। इस परिषद द्वारा किए गए परिवर्तनों तथा अत्यधिक भूमि कर लगाने के कारण लोगों में अत्यधिक रोष था।

बर्मा युद्ध में अंग्रेजों की हार के समाचार से विद्रोहियों को प्ररेणा मिली तथा उन्होंने भारमल्ल को पुनः स्थापित करने की मांग की। अंग्रेजों को चिर काल तक सैनिक कार्यवही करनी पड़ी।

1831 में पुनः विद्रोह हुआ तथा अन्त में कम्पनी को अनुरंजन की नीति अपनानी पड़ी।

(iv) बधेरा विद्रोह : ओखा मण्डल के बधेरे आरम्भ से ही विदेशी शासन के विरोधी थे। जब बड़ौदा के गायकवाड़ के अंग्रेजी सेना की सहायता से इन लोगों से अधिक कर प्राप्त करने का प्रयत्न किया तो बघेरा सरदार ने सशस्त्र विद्रोह कर दिया।

1818-19 के बाद अंग्रेजी प्रदेश पर भी आक्रमण किया। अन्त में 1820 में शान्ति स्थापित हो गई।

(v) सूरत का नमक आन्दोलन : अप्रिय कार्यों के विरोध करने का सूरत नगर का इतिहास बहुत पुराना है। 1844 में नमक कर 1/2 रुपया प्रति मन से बढ़ाकर एक रुपया प्रति मन कर दिया गया जिसके कारण लोगों में बहुत असंतोष फैला। शीघ्र ही यह सरकार विरोधी भावना अंग्रेज-विरोधी भावना में परिवर्तित हो गई।

कुछ यूरोपीय लोगों पर प्रहार भी हुए। जब अंग्रेजों ने देखा कि यह विरोध इतना अधिक है तो उन्होंने अतिरिक्त कर हटा लिया। इसी प्रकार 1848 में सरकार ने एक मानक (standard ) नाप और तौल लागू करने का प्रयत्न किया तो लोगों ने दृढ़ निश्चयपूर्वक उसका बहिष्कार किया तथा सत्याग्रह किया और अन्त में इसे भी वापिस लेना पड़ा।

(vi) रमोसी विद्रोह : पश्चिमी घाट में रहने वाली एक आदिम जाति रमोसी थी। वे अंग्रेजी प्रशासन पद्धति तथा अंग्रेजी प्रशासन से बहुत अप्रसन्न थे 1822 में उनके सरदार ‘चित्तर सिंह’ ने विद्रोह कर दिया तथा सतारा के आस पास का प्रदेश लूट लिया। 1825-26 में पुनः उपद्रव हुए और इस प्रदेश में 1829 तक अशांति रही।

इसी प्रकार सितम्बर 1839 में सतारा के राजा प्रताप सिंह के सिंहासन पदच्युत तथा देशनिष्कासन से समस्त प्रदेश में असंतोष उत्पन्न हो गया और 1840 41 में विस्तृत दंगे हुए।

नरसिंह दत्तात्रेय पेतकर ने बहुत से सैनिक एकत्रित कर लिए तथा बादामी का जीत कर उस पर सतारा के राजा का ध्वज फहरा दिया। अधिक शक्तिशाली अंग्रेजी सेना ही इस प्रदेश में शान्ति स्थापित कर सकी।

(vii) कोल्हापुर तथा सावन्तवाड़ी विद्रोह : 1844 के पश्चात कोल्हापुर राज्य में प्रशासनिक पुर्नगठन होने के कारण लोगों में बहुत असंतोष उत्पन्न हुआ। गाडकारी जो वंशानुगत सैनिक जाति थी और मराठों के दुर्गों में सैनिकों के रूप में काम करती थी। उनकी छंटनी कर दी गई।

बेकारी का प्रश्न सन्मुख देख कर गाडकारियों ने विद्रोह कर दिया । समनगढ़ तथा भूदरगढ़ के दुर्ग जीत लिए । इसी प्रकार सावन्तवाड़ी में विद्रोह हुआ। अधिक सैन्य बल से ही अंग्रेज इन विद्रोहों को दबाने में सफल हुए।

PDF पश्चिमी भारत में विद्रोह – नोट्स

नीचे “पश्चिमी भारत में विद्रोह” – Notes PDF है जो PDFinHindi.in द्वारा तैयार किया हुआ है ।

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