राष्ट्रीय आय – नोट्स प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा के लिए

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राष्ट्रीय आय

आर्थिक (देशीय) सीमा की संकल्पना

  • राष्ट्रीय आय लेखांकन समष्टि अर्थशास्त्र की एक शाखा है और राष्ट्रीय आय तथा संबंधित समुच्चयों का आकलन इसका एक भाग है। राष्ट्रीय आय और इससे संबंधित कोई भी समुच्चय एक देश की उत्पादन क्रियाओं का माप है।

आर्थिक सीमा

  • संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, आर्थिक सीमा एक देश की सरकार द्वारा प्रशासित वह भौगोलिक सीमा है जिसमें व्यक्तियों, वस्तुओं, और पूंजी का निर्बाध संचालन होता है। इस परिभाषा का आधार व्यक्तियों, वस्तुओं और पूंजी के संचलन की स्वतंत्रता है।

आर्थिक सीमा का क्षेत्र

i. देश की राजनीतिक सीमा (समुद्री सीमा और आकाशीय क्षेत्र सहित)

ii. देश के विदेशों में दूतावास, वाणिज्य दूतावास तथा सैनिक प्रतिष्ठान

iii. देश के निवासियों द्वारा दो या दो से अधिक देशों के मध्य चलाए जाने वाले जलयान व वायुयान ।

iv. मछली पकड़ने की नौकाएं, तेल व प्राकृतिक गैस यान, जो अंतरराष्ट्रीय जलसीमाओं में या उन क्षेत्रों में चलाए जाते हैं, जिन पर देश का अनन्य अधिकार है।

  • राष्ट्रीय आय समुच्चयों की दो श्रेणियां होती हैं देशीय और राष्ट्रीय – अर्थात देशीय उत्पाद (Domestic Product ) और राष्ट्रीय उत्पाद (National Product)। एक देश की आर्थिक सीमा में स्थित उत्पादन इकाइयों द्वारा किया गया उत्पादन देशीय उत्पाद कहलाता है।

निवासी की संकल्पना

• नागरिक और निवासी दो भिन्न शब्द हैं। एक व्यक्ति एक देश का नागरिक हो सकता है और किसी अन्य देश का निवासी । जो भारतीय विदेशों में रहते हैं, वे भारत के नागरिक हैं और जिस देश में रहते हैं, उसके निवासी हैं।

निवासी की परिभाषा

  • एक व्यक्ति, या एक संस्था, उस देश का निवासी कहलाता है जिस देश में रहता है, या स्थित है, व उसी की आर्थिक सीमा में उसके आर्थिक हित का केंद्र है।
  • ‘आर्थिक हितों के केंद्र’ में दो बातें शामिल होती हैं- (i) वह निवासी (व्यक्ति या संस्था) उस देश की आर्थिक सीमा में रहता है (या स्थित है) और (ii) उसके कमाने, खर्च करने और संचय करने की आर्थिक क्रियाएं वहीं से होती हैं।
  • एक देश के निवासियों द्वारा किया गया उत्पादन, राष्ट्रीय उत्पाद कहलाता है। यह उत्पादन चाहे उस देश की आर्थिक सीमा में किया गया हो या उससे बाहर ।
  • इसकी तुलना में, उन सभी उत्पादन इकाइयों द्वारा किया गया उत्पादन जो एक देश की आर्थिक सीमा में स्थित है, देशीय उत्पाद कहलाता है, चाहे यह उत्पादन निवासियों द्वारा किया गया हो या गैर-निवासियों द्वारा किया गया हो।

राष्ट्रीय उत्पाद और देशीय उत्पाद में संबंध

  • किसी देश की आर्थिक सीमा में किया गया कुल उत्पादन ‘घरेलू उत्पाद होता है। किसी देश के निवासियों द्वारा किया गया कुल उत्पादन ‘राष्ट्रीय उत्पाद’ होता है।
  • राष्ट्रीय उत्पाद = देशीय उत्पाद + देश के निवासियों द्वारा आर्थिक सीमा से बाहर किया गया उत्पादन – देश की आर्थिक सीमा में गैर-निवासियों द्वारा किया गया उत्पादन

या

राष्ट्रीय उत्पाद = देशीय उत्पाद + विदेशों से प्राप्त कारक आय – विदेशों को दी गई कारक आय

या

राष्ट्रीय उत्पाद = देशीय उत्पाद + विदेशों से निवल कारक आय।

  • यदि विदेशों से प्राप्त कारक आय, विदेशों को दी गई कारक आय से अधिक होती है, तो विदेशों से निवल कारक आय धनात्मक होगी।
  • यदि विदेशों से प्राप्त कारक आय, विदेशों को दी गई कारक आय से कम होती है, तो विदेशों से निवल कारक आय ऋणात्मक होगी।

औद्योगिक वर्गीकरण

➤ उत्पादन इकाइयों का अलग-अलग औद्योगिक समूहों या क्षेत्रकों में समूहीकरण औद्योगिक वर्गीकरण कहलाता है।

➤ प्राथमिक क्षेत्र – इस क्षेत्र में उन उत्पादन इकाइयों को शामिल किया जाता है, जो प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से उत्पादन करती हैं जैसे कृषि, पशुपालन, मछली पकड़ना, खनिज निकालना, वानिकी आदि । इनसे द्वितीयक क्षेत्रक के लिए कच्चा माल मिलता है।

➤ द्वितीयक क्षेत्र – इस क्षेत्र में वे उत्पादन इकाइयां शामिल की जाती – हैं, जो एक प्रकार की वस्तु को दूसरे प्रकार की वस्तु में परिवर्तित करती हैं। कारखाने, निर्माण, बिजली उत्पादन, जल आपूर्ति आदि इसके कुछ प्रमुख उदाहरण हैं।

➤ तृतीयक क्षेत्र – इसे सेवा क्षेत्र भी कहते हैं, इसके अंतर्गत सेवाओं का – उत्पादन करने वाली उत्पादन इकाइयां आती हैं। परिवहन, व्यापार, शिक्षा, होटल, सरकारी प्रशासन, वित्त आदि इसके कुछ प्रमुख उदाहरण हैं।

➤ राष्ट्रीय आय लेखांकन में राष्ट्रीय आय संबंधी बहुत से समुच्चय होते हैं।

1. देशीय व राष्ट्रीय

2. सकल व निबल

3. कारक लागत पर आकलित और बाजार कीमत पर आकलित

निवल राष्ट्रीय व देशीय उत्पाद

निवल देशीय उत्पाद = सकल देशीय उत्पाद – मूल्य ह्रास

निवल राष्ट्रीय उत्पाद = सकल राष्ट्रीय उत्पाद – मूल्य हास

➤ बाजार कीमत पर आकलन और साधन लागत पर आकलन साधन लागत पर देशीय उत्पाद = बाजार मूल्य पर देशीय उत्पाद – अप्रत्यक्ष कर + सरकारी सहायता (आर्थिक सहायता )

➤ अप्रत्यक्ष कर और सरकारी सहायता के अंतर को निबल अप्रत्यक्ष कर कहते हैं।

निवल अप्रत्यक्ष कर = अप्रत्यक्ष कर – सरकारी सहायता

➤ साधन लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद को राष्ट्रीय आय कहते हैं।

राष्ट्रीय आय = बाजार मूल्य पर सकल देशीय उत्पाद – मूल्यह्रास – निवल अप्रत्यक्ष कर + विदेशों से निवल कारक आय

राष्ट्रीय आय के आकलन की विधियां

➤ राष्ट्रीय आय के चक्रीय प्रवाह से हमें इसके आकलन की तीन विधियां मिलती हैं – उत्पादन (मूल्य संवृद्धि) विधि, आय विधि और व्यय विधि |

➤ उत्पादन (मूल्य संवृद्धि) विधि –

इसके अंतर्गत पहले हम प्रत्येक क्षेत्रक – में बाजार कीमत पर सकल मूल्य संवृद्धि ज्ञात करते हैं और सभी क्षेत्रकों की इस मूल्य संवृद्धि का योग करने में हमें बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात हो जाता है।

➤ आय विधि –

इस विधि के अंतर्गत पहले क्षेत्रक द्वारा किए गए कुल कारक भुगतान का आकलन करते हैं। फिर तीनों क्षेत्रकों के कारक भुगतानों का योग करने से हमें ‘साधन लागत पर निवल मूल्य वृद्धि’ (देशीय उत्पाद) या देशीय कारक आय ज्ञात हो जाती है।

➤ देशीय कारक आय (कारक भुगतान) के निम्नलिखित घटक होते हैं-

1. कर्मचारियों का पारिश्रमिक

2. किराया और रायल्टी

3. ब्याज

4. लाभ

➤ मिश्रित आय से तात्पर्य है, सारे कारकों की सम्मिलित आय। अतः साधन लागत पर निबल देशीय उत्पाद = कर्मचारियों का पारिश्रमिक + किराया व रायल्टी + ब्याज + लाभ + मिश्रित आय (यदि हो)

व्यय विधि

➤ इस विधि के अंतर्गत हम उपभोग और निवेश पर किए गए व्यय को जोड़ लेते हैं। यह व्यय देशीय उत्पाद पर किया गया व्यय होता है। इसके विभिन्न घटक हैं-

(i) निजी अंतिम उपभोग व्यय (ii) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय

(iii) सकल देशीय पूंजी निर्माण (iv) निवल निर्यात (निर्यात-आयात)

प्रयोज्य आय

➤ उपभोग व्यय और बचत के लिए उपलब्ध आय को प्रयोज्य आय कहते हैं। इसमें कारक आय और हस्तांतरण (गैर-कारक आय) दोनों शामिल होती हैं। राष्ट्रीय आय में केवल कारक आय शामिल की जाती है। यदि राष्ट्रीय आय ज्ञात हो, तो प्रयोज्य आय ज्ञात की जा सकती है।

राष्ट्रीय प्रयोज्य आय

➤ राष्ट्रीय प्रयोज्य आय से संबंधित दो समुच्चय होते हैं (1) सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय और (2) निवल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय

सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय = राष्ट्रीय आय + निवल अप्रत्यक्ष कर + = मूल्य ह्रास + विदेशों से निवल चालू हस्तांतरण

भारत के संबंध में

➤ किसी राष्ट्र के नागरिकों द्वारा एक वर्ष की अवधि में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य राष्ट्रीय आय कहलाता है। भारत में राष्ट्रीय आय की गणना निम्न तीन विधियों से की जाती

है-

i. उत्पादन विधि- समस्त संसाधनों द्वारा कुल अंतिम उत्पादन |

ii. आय विधि- समस्त संसाधनों द्वारा अर्जित कुल आय ।

iii. व्यय विधि समस्त उपभोग / व्ययों का योग ।

➤ भारत में राष्ट्रीय आय का सर्वप्रथम अनुमान दादाभाई नरौजी ने 1868 ई. में लगाया था। स्वतंत्रता के पूर्व भारत में विलियम डिग्वी, फिडले शिराज शाह एवं खम्भाता, आर. सी. देसाई, बी. नटराजन आदि ने भी राष्ट्रीय आय का अनुमान प्रस्तुत किया। स्वतंत्रता के पूर्व सर्वाधिक वैज्ञानिक अनुमान वर्ष 1931-32 में वी. के. आर. वी. राव द्वारा प्रस्तुत किया गया। स्वतंत्रता के पश्चात भारत में राष्ट्रीय आय की गणना हेतु वर्ष 1949 में पी. सी. महालनोबिस की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया गया। तीन सदस्यीय इस समिति में डी. आर. गाडगिल एवं वी. के. आर.वी. राव भी सदस्य थे इस समिति द्वारा वर्ष 1951 में पहली, जबकि वर्ष 1954 में दूसरी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।

➤ वर्तमान में राष्ट्रीय आय की गणना राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा की जाती है, जबकि पूर्व में यह केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) द्वारा की जाती थी। NSO/CSO केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अधीन कार्य करती थी ।

राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

1. सकल घरेलू उत्पाद (GDP)

➤ किसी देश की भौगोलिक सीमा के भीतर एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य उस देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) कहलाता है।

➤ विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 के संदर्भ में क्रय शक्ति समता (PPP) के आधार पर भारत विश्व की तीसरी (चीन एवं USA के बाद) सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

➤ विश्व बैंक द्वारा जुलाई, 2021 में जारी आंकड़ों के अनुसार, GDP के संदर्भ में भारत विश्व की छठवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत से बड़ी पांच अर्थव्यवस्थाएं क्रमश: (घटते क्रम में) यूएसए, चीन, जापान, जर्मनी तथा यू. के. हैं।

➤ आर्थिक समीक्षा, 2021-22 के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21 (P.E.) में भारत की जीडीपी वृद्धि दर में 7.3 प्रतिशत अनुमानित थी जबकि वित्तीय वर्ष 2021-22 (1 A.E.) के लिए वास्तविक जीडीपी की वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत अनुमानित है।

सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP)

➤ किसी देश के नागरिकों (निवासी एवं अनिवासी दोनों) द्वारा किसी वित्तीय वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य को उस देश का सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) कहा जाता है।

➤ सकल राष्ट्रीय आय की गणना में विदेश में कार्यरत देश के नागरिकों की आय को जोड़ा जाता है, जबकि देश के भीतर कार्यरत विदेशी व्यक्तियों की आय को घटा दिया जाता है।

GNP = GDP + विदेश से अर्जित शुद्ध आय

➤ आर्थिक समीक्षा, 2021-22 के अनुसार, वर्ष 2021-22 (1st A.E.) में भारत की सकल राष्ट्रीय आय (GNI) स्थिर कीमतों पर 9.4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 146.40 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है।

➤ चालू कीमतों पर भारत की GNI वर्ष 2021-22 (1st AE.) में 17.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 230.39 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है।

शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP)

➤ सकल राष्ट्रीय उत्पाद में से मूल्य ह्रास को घटा देने पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त होता है। साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद को ही राष्ट्रीय आय कहा जाता है।

➤ आर्थिक समीक्षा, 2021-22 के अनुसार, वर्ष 2021-22 (1″ AE.) में भारत की राष्ट्रीय आय (NNI) स्थिर कीमतों पर 9.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 128.61 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है। जबकि वर्ष 2020-21 (P.E.) में स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय (NNI) – 7.4 प्रतिशत की कमी के साथ 117.46 लाख करोड़ रुपये है।

➤ जहां वर्ष 2020-21 (P.E.) में भारत की प्रतिव्यक्ति आय स्थिर कीमतों पर 86659 रुपये तथा चालू कीमतों पर 128829 रुपये है। वहीं वर्ष 2021-22 (1HA.E.) में भारत की प्रतिव्यक्ति आय स्थिर कीमतों पर 93973 रुपये, तथा चालू कीमतों पर 150326 रुपये अनुमानित है।

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