गांधी एवं उनके प्रारंभिक आंदोलन से संबंधित GK Notes In Hindi Part-2

आज के इस आर्टिकल मे हमलोग गांधी एवं उनके प्रारंभिक आंदोलन से संबंधित GK Notes Part-2 मे शेष महत्वपूर्ण GK Facts के बारे मे जानकारी प्राप्त करेंगे ।

गांधी एवं उनके प्रारंभिक आंदोलन GK Notes Part-2

  • महात्मा गांधी ने भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान वर्ष 1917 मे चंपारण (बिहार) से सत्याग्रह प्रारंभ किया । यह गांधीजी का भारत में पहला सफल सत्याग्रह था।
  • महात्मा गांधी ने विदेशी वस्त्रों को नष्ट करने को राष्ट्र के आत्मसम्मान से जोड़ते हुए कहा था कि “विदेशी वस्त्रों की बर्बादी ही उनके साथ सर्वोत्तम व्यवहार है।” * ब्रिटिश निर्मित उत्पादों का गांधी का बहिष्कार प्रभावी हुआ क्योंकि ब्रिटेन भारत को एक बड़ा निर्मित वस्तुओं का बाजार समझता था।
  • गांधीजी के विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के कारण देशी वस्तुओं के उत्पादन तथा बिक्री को काफी प्रोत्साहन मिला।
  • महात्मा गांधी ने अपने द. अफ्रीका प्रवास के दौरान जॉन रस्किन (John Ruskin) की पुस्तक ‘Unto This Last ‘ पढ़ी थी। * गांधीजी ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि इस पुस्तक ने उनके जीवन को परिवर्तित कर दिया। गांधीजी के अनुसार, इस पुस्तक का वह संदेश था- “व्यक्ति का कल्याण सबके कल्याण में निहित है (The good of the individual is contained in the good of all)।
  • इसी के आधार पर गांधीजी ने ‘सर्वोदय’ (The wellfare of all ) की अवधारणा का प्रतिपादन किया था । धर्मनिरपेक्ष लेखकों में गांधीवादी विचारधारा को थोरो, रस्किन और टॉलस्टॉय ने सबसे अधिक प्रभावित किया।
  • गांधीजी ने थोरो से सविनय अवज्ञा और कर बंदी की प्रेरणा पाई। * रस्किन से गांधीजी ने शारीरिक परिश्रम का आदर करना सीखा तथा टॉलस्टॉय के प्रसिद्ध वाक्य “ईश्वर का राज्य तुम्हारे भीतर है ” से गांधीजी काफी प्रभावित हुए और यह उनके अहिंसक असहयोग का आधार बना।
  • गांधीजी ने जातिविहीन अछूतों की दशा में सुधार के लिए कठोर संघर्ष किया, गांधीजी कहते थे कि ‘हरिजन सेवा मेरा जीवन श्वास है, इसलिए इसके बिना मैं एक क्षण भी जिंदा नहीं रह सकता।’
  • वर्ष 1917 और 1918 के आरंभ में गांधीजी ने तीन संघर्षों-चंपारण आंदोलन (बिहार), अहमदाबाद और खेड़ा ( दोनों गुजरात) में हिस्सा लिया।
  • चंपारण तथा खेड़ा आंदोलन किसानों का आंदोलन था, जबकि अहमदाबाद का आंदोलन औद्योगिक मजदूरों का आंदोलन था।
  • बिहार में हुआ चंपारण सत्याग्रह (भारत में गांधीजी का प्रथम सत्याग्रह) सर्वप्रथम घटना है। * 19वीं सदी के आरंभ में गोरे बागान मालिकों ने चंपारन के किसानों से एक अनुबंध के आधार पर यह विनिश्चित करा लिया था कि उन्हें अपनी जमीन के 3/20वें भू-भाग में नील की खेती करना अनिवार्य हैं, जिसे ‘तिनकठिया पद्धति’ के नाम से जाना जाता था। *गोरे बागान मालिकों ने किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें अनुबंध से मुक्त करने के लिए लगान एवं अन्य गैर-कानूनी अब्वाबों (करों) की दर मनमाने ढंग से बढ़ा दी। किसानों के इसी उत्पीड़न के विरोध में गांधीजी ने चंपारण सत्याग्रह प्रारंभ किया था। मामले की जांच के लिए सरकार ने एक कमेटी गठित की जिसमें गांधीजी को भी सदस्य बनाया गया। * बागान मालिक अवैध वसूली का 25 प्रतिशत वापस करने पर राजी हो गए। इस प्रकार गांधीजी द्वारा चलाया गया पहला सत्याग्रह सफल रहा।
  • महात्मा गांधी को चंपारण आने तथा कृषकों की समस्या की जांच करने के लिए पं. राजकुमार शुक्ल ने राजी किया था तथा चंपारण समस्या की जांच ने में गांधीजी के सहयोगियों में आचार्य जे. बी. कृपलानी के साथ डॉ. राजेंद्र प्रसाद, महादेव देसाई, सी. एफ. एन्ड्रज, डॉ. अनुग्रह नारायण सिंह, राज किशोर प्रसाद, एच. एस. पोलाक इत्यादि शामिल थे।
  • एन. जी. रंगा ने महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह का विरोध किया था, जबकि रबींद्रनाथ टैगोर ने चंपारण सत्याग्रह के दौरान ही इन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी थी।
  • चंपारण सत्याग्रह के बाद गांधीजी का अगला प्रयोग वर्ष 1918 में अहमदाबाद की कॉटन मिल मालिकों और मजदूरों में प्लेग बोनस को लेकर विवाद में हस्तक्षेप करना था। गांधीजी ने मालिकों और मजदूरों को इस सारे मामले को एक ट्रिब्यूनल को सौंप देने पर राजी कर लिया। लेकिन बाद में मालिकों ने 20 प्रतिशत बोनस देने की घोषणा की और इसे स्वीकार न करने पर मजदूरों को नौकरी से निकालने की धमकी दी। * मालिकों के इस व्यवहार को इन्होंने गंभीरता से लिया तथा मजदूरों को हड़ताल पर जाने को कहा। मजदूरों का उत्साह बढ़ाने तथा संघर्ष तेज करने के लिए इन्होंने खुद अनशन पर बैठने का फैसला लिया। * इनके अनशन का मालिकों पर असर पड़ा और वे सारे मामले को ट्रिब्यूनल को सौंपने को राजी हो गए। बाद में ट्रिब्यूनल ने 35 प्रतिशत बोनस देने का फैसला सुनाया।
  • वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा में किसानों की फसल नष्ट हो जाने के बाद भी सरकार ने लगान में छूट नहीं दी थी और भू-राजस्व उगाही स्थगित नहीं की थी। * इसी मुद्दे पर महात्मा गांधी ने खेड़ा के किसानों के पक्ष में सत्याग्रह संघटित किया था। *महात्मा गांधी को सर्वप्रथम ‘राष्ट्रपिता’ सुभाष चंद्र बोस ने कहा था।
  • जुलाई, 1944 को सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद रेडियो पर बोलते हुए गांधीजी को संबोधित किया- “भारत की स्वाधीनता का आखिरी युद्ध शुरू हो चुका है। राष्ट्रपिता ! भारत की मुक्ति के इस पवित्र युद्ध में हम आपका आशीर्वाद और शुभकामनाएं चाहते हैं।
  • नोआखाली काल में प्यारे लाल महात्मा गांधी के सचिव थे। उनकी बहन डॉ. सुशीला नैयर गांधीजी की व्यक्तिगत चिकित्सक थीं। * प्यारे लाल ने गांधीजी के दांडी मार्च में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
  • जमनालाल बजाज कपड़ा व्यापारी, बैंकर, कांग्रेसी सामाजिक कार्यकर्ता और महात्मा गांधी के निकट सहयोगी थे। इनका जन्म जयपुर में हुआ था, इन्हें वर्धा के एक धनवान व्यापारी ने गोद लिया था। * वे वर्ष 1915 में गांधीजी के संपर्क में आए तथा जीवन भर उनके अनुयायी रहे। *30 वर्ष की अवस्था में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में भाग लिया। * भारत के प्रति ब्रिटिश सरकार की नीति के विरोध में उन्होंने ‘राय बहादुर’ की उपाधि त्याग दी। ये कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहे तथा गांधी सेवा संघ के संस्थापक थे। * वे वर्ष 1923 में झंडा सत्याग्रह में भाग लेने के लिए तथा पुनः वर्ष 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान जेल गए थे।
  • चार्ल्स एन्ड्रज (दीनबंधु एन्ड्रज) सेंट स्टीफेन कॉलेज, दिल्ली में प्राध्यापक थे। * भारतीयों से इनका गहरा लगाव था और वे हर तरह से भारतीय बनना चाहते थे। रबींद्रनाथ टैगोर, गोपाल कृष्ण गोखले तथा महात्मा गांधी से इनके घनिष्ठ संबंध थे। ये दक्षिण अफ्रीका के फीनिक्स फॉर्म में गांधीजी के साथ रहे थे। गांधीजी ने ही गरीबों के प्रति इनकी निरंतर चिंता को देखते हुए उन्हें ‘दीनबंधु’ की उपाधि से सम्मानित किया था।
  • एन्ड्रज वर्ष 1925 और 1927 में ‘ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन’ (All India Trade Union) के अध्यक्ष भी रहे। * गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए वे गांधीजी के साथ एक सहयोगी के रूप में लंदन गए थे।
  • छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी का प्रथम आगमन 20 दिसंबर, 1920 को रायपुर स्थित धमतारी में हुआ था। * इसके अतिरिक्त वे नवंबर में भी यहां आए थे।
  • भारत की स्वाधीनता के समय गांधीजी कांग्रेस के सदस्य नहीं थे।
  • वर्ष 1934 में गांधीजी ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था तथा वे फिर कांग्रेस के औपचारिक रूप से सदस्य नहीं बने, तथापि राजनीतिक परिदृश्यों पर उनका शक्तिशाली मार्गदर्शी प्रभाव छाया रहा।
  • गांधीजी ने वर्ष 1903 में जोहान्सबर्ग में अपनी लॉ फर्म स्थापित की थी, जहां वे 1910 तक रहे। *गांधीजी ने अपनी लॉ फर्म में ट्रस्टीशिप के सिद्धांतों को लागू किया था। *गांधीजी का विचार था कि प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था, वहां कि जलवायु, भूमि तथा वहां के निवासियों के स्वभाव को ध्यान में रखते हुए निश्चित की जानी चाहिए।
  • इनकी अर्थनीति सभी तरह के शोषण का विरोध करती है, चाहे वह शोषण देश के भीतर एक वर्ग द्वारा दूसरे वर्ग का हो या बाहर से हो। * गांधीजी इसको दूर करने के लिए ऐसी प्रणाली कायम करना चाहते थे, जिसमें व्यक्ति अपने मौलिक प्रयत्न के द्वारा स्वतंत्र वातावरण में श्रम और कार्य कर सके, इसके लिए वे स्वदेशी उद्योगों का पुनरुद्धार करना चाहते थे ताकि लोगों को पर्याप्त भोजन मिल सके और वे भूख से पीड़ित न हों। * इसके लिए गांधीजी ने कुटीर उद्योगों जैसे- गुड़ बनाना, घास कूटना, तेल पेरना, कागज बनाना, चमड़े का काम आदि पर जोर दिया। * इससे गांधीजी का मानना था कि गरीबों और शोषितों का आर्थिक और सामाजिक सुधार करने में मदद मिलेगी। *30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधीजी को गोली मार दी।
  • उनकी मृत्यु पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने कहा था-” हमारे जीवन से प्रकाश चला गया है। हमारे चतुर्दिक अंधकार ही अंधकार है, मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि आपसे क्या कहूं और कैसे कहूं ? राष्ट्रपिता, जिन्हें हम प्यार से ‘बापू’ कहते थे, हमारे बीच नहीं रहे…।”

गांधी एवं उनके प्रारंभिक आंदोलन GK Notes PDF Part-2

ऊपर के लेख मे जो आज हम लोग, Part-2 मे गांधी एवं उनके प्रारंभिक आंदोलन से संबंधित महत्वपूर्ण GK Facts के बारे मे जानकारी प्राप्त की है उसकी PDF नीचे है ।

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