History GK Notes – “1857 के विद्रोह का प्रारंभ एवं विद्रोह का विस्तार” जैसे – दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, झाँसी, बिहार, फैज़ाबाद (वर्तमान अयोध्या), इलाहाबाद (वर्तमान प्रयागराज), बनारस, बरेली, राजस्थान, असम, उड़ीसा (ओडिशा) आदि जगहों पर 1857 के विद्रोह का विस्तार ।
Beginning of the Revolt of 1857 and expansion of the Revolt

1857 के विद्रोह का प्रारंभ
➤ 29 मार्च , 1857 को चर्बी लगे कारतूस के प्रयोग का विरोध 34 वीं रेजिमेंट , बैरकपुर के सैनिक मंगल पांडेय ने किया तथा विद्रोह की शुरुआत कर दी । उसने सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट बाग एवं मेजर सार्जेण्ट की गोली मारकर हत्या कर दी । 8 अप्रैल , 1857 को सैन्य अदालत के निर्णय के बाद मंगल पांडेय को फाँसी की सज़ा दे दी गई , जो कि 1857 की क्रांति का प्रथम शहीद माना गया । ( एन.सी.ई.आर.टी. के अनुसार , मंगल पांडेय को 29 मार्च , 1857 को फाँसी की सज़ा दी गई थी । )
➤ 1857 के विद्रोह के दौरान बैरकपुर में कमांडिंग ऑफिसर हैरसे था ।
➤ 10 मई , 1857 को मेरठ छावनी में तैनात भारतीय सेना ने चर्बी युक्त कारतूस के प्रयोग से इनकार कर दिया एवं अपने अधिकारियों पर गोलियाँ चलाई और विद्रोह प्रारंभ कर दिया । इस समय मेरठ में सैन्य छावनी का अधिकारी जनरल हेविड था ।
1857 के विद्रोह का विस्तार
दिल्ली में विद्रोह का विस्तार
➤ विद्रोह का आरंभ 10 मई , 1857 को मेरठ छावनी में हुआ । सिपाहियों ने अपने अधिकारियों पर गोली चलाई और अपने साथियों को मुक्त करवा कर दिल्ली की ओर कूच किया तथा 11 मई को मेरठ के विद्रोही दिल्ली पहुँचे और 12 मई , 1857 को उन्होंने दिल्ली पर अधिकार कर लिया तथा मुगल बादशाह बहादुरशाह द्वितीय को पुनः भारत का सम्राट व क्रांति का नेता घोषित किया ।
➤ दिल्ली में मुगल शासक बहादुरशाह द्वितीय को प्रतीकात्मक नेतृत्व दिया गया , किंतु वास्तविक नेतृत्व बख़्त खाँ के पास था । हालाँकि दिल्ली पर अंग्रेज़ों का पुनः अधिकार सितंबर 1857 को पूरी तरह हो गया । इस संघर्ष को दबाने के लिये अंग्रेज़ अधिकारी जॉन निकोलसन , हडसन व लॉरेंस को भेजा गया जिसमें जॉन निकोलसन मारा गया ।
➤ हडसन ने सम्राट के दो पुत्रों और पौत्र को यह वचन देकर कि उन्हें कोई क्षति नहीं पहुँचाई जाएगी , गोली मार कर हत्या कर दी । बहादुरशाह द्वितीय की गिरफ्तारी हुमायूँ के मकबरे से हुई थी । इसकी सूचना जीनत महल ने दी थी । बहादुरशाह द्वितीय को रंगून भेज दिया गया जहाँ 1862 में उसकी मृत्यु हो गई ।
लखनऊ में विद्रोह का विस्तार
➤ जून 1857 में विद्रोह का प्रारंभ बेगम हज़रत महल ( महक परी के नाम से भी जानी जाती थीं ) के नेतृत्व में हुआ । उन्होंने अपने अल्पायु पुत्र बिरजिस कादिर को नवाब घोषित कर दिया तथा अपना प्रशासन स्थापित किया । चीफ कमिश्नर हेनरी लॉरेंस , लखनऊ में स्थित ब्रिटिश रेजिडेंसी की रक्षा करते हुए मारे गए । अंत में , कैंपबेल ने मार्च 1858 में विद्रोह को दबा कर लखनऊ पर पुनः कब्ज़ा कर लिया ।
➤ तात्या टोपे के नेतृत्व में ‘ चिनहट ‘ के पास अंग्रेज़ी सेना को हराया गया और हेवलॉक मारा गया । कालांतर में ब्रिगेडियर जनरल नील भी लखनऊ में मारा गया ।
कानपुर में विद्रोह का विस्तार
➤ 5 जून , 1857 को कानपुर अंग्रेजों के हाथ से निकल गया । यहाँ पर पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहब ( धोंदूपंत ) ने विद्रोह को नेतृत्व प्रदान किया । इसमें उनकी सहायता तात्या टोपे ने की थी , जिनका असली नाम रामचंद्र पांडुरंग था ।
➤ दिसंबर 1857 में कैंपबेल ने कानपुर पर फिर से अधिकार कर लिया । नाना साहब अंत में नेपाल चले गए ।
झाँसी में विद्रोह का विस्तार
➤ झाँसी में जून 1857 में रानी लक्ष्मीबाई ( जन्म – वाराणसी , मृत्यु ग्वालियर ) के नेतृत्व में विद्रोह प्रारंभ हुआ । झाँसी में ह्यूरोज की सेना से पराजित होकर वे ग्वालियर पहुँची । तात्या टोपे झाँसी की रानी से जाकर मिले थे । झाँसी की रानी सैनिक वेशभूषा में लड़ती हुई दुर्ग की दीवारों के पास वीरगति को प्राप्त हुई ।
➤ तात्या टोपे ने अंग्रेज़ों को सर्वाधिक परेशान किया और सिंधिया की अस्वीकृति के बावजूद ग्वालियर की सेना व जनता का उन्हें सहयोग मिला । अपने गुरिल्ला युद्धों द्वारा उन्होंने विद्रोह को एक नया आयाम दिया , किंतु बाद में उनके विश्वासघाती मित्र मानसिंह ने उन्हें गिरफ्तार करवा दिया और 18 अप्रैल , 1859 को शिवपुरी ( मध्य प्रदेश ) में उन्हें फाँसी दे दी गई ।
बिहार में विद्रोह का विस्तार
जगदीशपुर में विद्रोह कुँवर सिंह ने किया । कुँवर सिंह की मृत्यु के बाद विद्रोह का नेतृत्व इनके भाई अमर सिंह ने किया । अंत में विलियम टेलर एवं विंसेंट आयर ने यहाँ विद्रोह को दबा दिया ।
फैज़ाबाद ( वर्तमान अयोध्या ) में विद्रोह का विस्तार
फैज़ाबाद में विद्रोह का नेतृत्व अहमदुल्लाह ने किया । कैंपबेल ने यहाँ के विद्रोह को दबाया ।
इलाहाबाद ( वर्तमान प्रयागराज ) में विद्रोह का विस्तार
इलाहाबाद में जून के प्रारंभ में विद्रोह हुआ , जिसका कमान मौलवी लियाकत अली ने संभाली । अंत में ब्रिगेडियर – जनरल नील ने यहाँ के विद्रोह को दबा दिया । विद्रोह के दौरान तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग ने इलाहाबाद को आपातकालीन मुख्यालय बनाया था ।
बनारस में विद्रोह का विस्तार
➤ सामान्य जनता का विद्रोह ।
➤ ब्रिगेडियर जनरल नील द्वारा दमन ।
➤ यहाँ बच्चों व स्त्रियों को भी मृत्युदंड दे दिया गया ।
बरेली में विद्रोह का विस्तार
➤ बरेली में खान बहादुर खाँ ने विद्रोहियों का नेतृत्व किया और अपने आप को ‘ नवाब ‘ घोषित किया ।
➤ कैंपबेल ने यहाँ के विद्रोह को भी दबा दिया और खान बहादुर खान को फाँसी की सज़ा दी गई ।
राजस्थान में विद्रोह का विस्तार
राजस्थान में कोटा ब्रिटिश विरोधियों का प्रमुख केंद्र था । यहाँ जयदयाल और हरदयाल ने विद्रोह को नेतृत्व प्रदान किया ।
असम में विद्रोह का विस्तार
असम में विद्रोह की शुरुआत मनीराम दत्त ने की तथा अंतिम राजा के पोते कंदर्पेश्वर सिंघा को राजा घोषित कर दिया । मनीराम को पकड़कर कलकत्ता में फाँसी दे दी गई ।
उड़ीसा ( ओडिशा ) में विद्रोह का विस्तार
ओडिशा में संबलपुर के राजकुमार सुरेंद्र साई विद्रोहियों के नेता बने । 1862 में सुरेंद्र साई ने आत्मसमर्पण कर दिया । इन्हें देश से निकाल दिया गया । गंजाम ( ओडिशा ) में विद्रोह का नेतृत्व राधाकृष्ण दंडसेना ने किया था ।
नोट : फैज़ाबाद के मौलवी अहमदुल्लाह ने अंग्रेजों के विरुद्ध फतवा जारी किया और जिहाद का नारा दिया । अंग्रेज़ों ने इनके ऊपर 50 हज़ार रुपये का इनाम घोषित किया था । ➤ मौलवी अहमदुल्लाह मूलतः मद्रास के रहने वाले थे । ➤ विद्रोह के समय एक झंडा गीत की रचना हुई , जिसे अज़ीमुल्लाह ने लिखा था । ➤ लंदन टाइम्स के पत्रकार ‘ माइकल रसेल ‘ ने इस विद्रोह का सजीव वर्णन किया । ➤ कश्मीर में विद्रोह का नेतृत्व गुलाब सिंह ने किया था । ➤ बंगाल , पंजाब , राजपूताना , पटियाला , जींद , हैदराबाद , मद्रास आदि ऐसे क्षेत्र थे , जहाँ पर विद्रोह पनप नहीं सका । यहाँ के शासक व ज़मींदार वर्ग ने विद्रोह को कुचलने में ब्रिटिशों की सहायता भी की । ➤ 1857 के विद्रोह में अवध में इस तरह जनता ने भाग लिया कि यह स्वतंत्रता संग्राम जैसा प्रतीत होने लगा । ➤ बागपत ( उत्तर प्रदेश ) के बड़ौत परगना के एक ग्रामीण शाह मल ने गाँव वालों को संगठित कर 1857 के विद्रोह के लिये प्रेरित किया । ➤ छोटा नागपुर क्षेत्र में 1857 में सिंहभूम के एक आदिवासी काश्तकार गोनू ने अंग्रेजों के विरुद्ध कोल आदिवासियों का नेतृत्व किया ।. |
1857 के विद्रोह का प्रारंभ एवं विद्रोह का विस्तार PDF Notes
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